राजीव हरिओम भाटिया - Marshall arts से Bollywood actor बनने तक का सफर ।



'' हर फिल्म एक challenge होता है । हर किरदार एक अलग किरदार होता है ,उस किरदार के अंदर घुसना अपने -आप मे एक self - challenge होता   है ।
हर Director को खुश करना अपने -आप मे एक selfesteem है ।''

''मैने कभी सोचा ही नही था कि मै फिल्मों मे आऊँगा , शायद मेरी किस्मत मे कुछ और ही लिखा था जो मै आ गया । मैने सोचा कुछ ओर हुआ था पर ये इतेफाक से हो गया । क्योंकि किस्मत को कुछ ओर ही मंजूर   था ''
आप समझ ही गये होंगे कि मै किसकी बात कर रहा   हूँ । 
Story of real struggler ;जिसकी पूरी life बदली ,सिर्फ ओर सिर्फ एक movement ने !



हम बात कर रहे है राजीव हरिओम भाटिया की जो कभी chef से लेकर marshall arts trainer रह चुके है । आइये जानते है क्या थी उनकी struggle story.
जन्म पुरानी दिल्ली मे हुआ । घर चाँदनी चौक मे हुआ करता था । पिता जी Amritsar से थे और माता जी कश्मीर के ।
पिता जी पहले आर्मी मे हुआ करते थे । बाद मे पिता जी ने आर्मी छोड़ कर UNICE ( united nation of international children fund of education) के अंदर accountant के रुप मे काम किया और वहाँ से उनका तबादला मुम्बई मे हुआ । 
सारा परिवार मुम्बई मे shift हो गया । ठीक चार साल बाद एक छोटी sister का जन्म हुआ । अब घर मे चार सदस्य हो चुके थे । 
पढ़ने का शोंक बिल्कुल भी नही था । पढ़ाई से ज्यादा sports मे interest था । घर वालो से डाँट भी पड़ती थी ।
उनके पिता जी उनसे हमेशा कहते थे कि बेटा सिर्फ इतना पड़ लो कि किसी के सामने बेवकूफ ना लगों और बड़े लोगो मे अच्छे से बात कर सको । 
एक वार तो राजीव जब पड़ नही थे तो पिता जी ने उन्हे डाँट लगाई और गुस्से मे कह दिया कि अगर पड़ेगा नही तो जीवन मे करेगा क्या ?
तो राजीव ने भी गुस्से मे कह दिया कि hero बन जाऊँगा,पिता जी उसकी इस बात पर हँसने लगे । पर पता नही था कि मुँह से ऐसे ही निकली बात सच हो जायेगी ।


 Journey of struggle.

राजीव के पड़ोस मे एक लड़का रहता था जो कि कराटे जानता था ,यही से राजीव के मन मे बात आयी कि मुझे भी ऐसे ही कराटे सीखने है और सीख कर मै भी उस लड़के की तरह सब मे show off करूँगा ।
बस यही से उनकी struggle life की शुरुआत हो गयी । उसने पिता जी से कहाँ कि मुझे भी कराटे सीखने है और उसके पिता जी ने उसका admission कराटे class मे करवा दिया । वहाँ से उन्होने कराटे सीखा । 
धीरे -धीरे marshall arts मे interest और भी बढ़ने लगा और  जैसे ही उनकी 10 standard पूरी हुई उन्होने अपने पिता जी से बात कही कि मुझे कराटे मे आगे बढ़ना है । 
पिता जी ने ईधर -उधर से पैसे इकठ्ठे करके 7000-8000 रुपये तक का loan लेकर राजीव को बेन्कॉक भेजा ।
वहाँ लगभग पाँच साल तक marshall arts ,thai boxing सीखी और अपना blackbelt हासिल किया । वहाँ बैठे रहे पर उनका कुछ नही हुआ, वहाँ survive करना मुश्किल हो रहा था जिस कारण उन्हे बैंकाक छोड़ना पड़ा ।
वहाँ से राजीव बँगला देश की capital ढाका मे   पहुँचे । वहाँ पर उन्होने chef के रुप मे एक होटल मे काम किया ।
होटल मे वो खाना बनाने से लेकर उस खाने को पैक और surved करने तक का काम करते थे । 
पर घर से बाहर रहने पर कई मुश्किलो का सामना करना पड़ रहा था और income का भी source अच्छा नही था तो उन्होने ढाका को भी अलविदा कह दिया ,कही ना कही राजीव के मन मे भी यही सवाल बार -बार आ रहा था कि मै life मे क्या करूँगा ? 
घर वालो के मन मे भी ये बात ज़रूर थी कि राजीव ने पढ़ाई बीच मे छोड़ दी और कही ना कही वो खुद भी इस चीज़ से वाकिफ थे लेकिन survive के चलते और पढ़ाई मे खास interest ना होंने के कारण उन्होने पढ़ाई बीच मे ही छोड़ दी । 
ऐसा नही था कि उनकी background खराब हो चुकी थी । उन्होने अपनी लाइफ का decision खुद लिया और अपने survive के लीये अपने आप पर निर्भर हो गये क्योंकि वो खुद के लिये कुछ करना चाहते थे ।
फ़िर वो ढाका से calcutta पहुँचे । वहाँ पर वो बतौर  traveling agent के रूप मे काम करके अपना गुजारा करते थे ।
पर वहाँ भी इनका कुछ नही हुआ, थक हार कर यही सोचने लगे कि अब मै क्या करूँ और फ़िर जो उनकी नज़र मे आ रहा था उसके लिये वो आगे बढ़ते गये , वापिस अपनी जन्म भूमि दिल्ली आ गये । 
यहाँ आने के बाद उन्होने कुंदन की jewellery (गहने) बेचने और greeting cards बेचने शुरू कर दिये । 
वो इस jewellery को खरीद कर उन्हे मुम्बई मे बेचा करते थे ,लेकिन ज्यादा traveling ,ज्यादा investment और कम profits ही हो रहा था तो  गहने बेच कर भी कुछ खास नही हुआ तो राजीव ने वहाँ से वापिस मुम्बई अपने घर जाने का मन बना लिया ।
वो ये जो बार - बार काम बदल रहे थे उनका  मकसद ये नही था कि मै इन सब कामों मे कुछ बड़ा करूँगा ,jewellery बेच कर या chef बन कर कुछ extra -ordinary करूँगा या इतना नाम कमाऊगा । राजीव की स्तिथि ही ऐसी हो चुकी थी कि जो रास्ते उनको नज़र आ रहे थे बस वही वो करते जा रहे थे ।
लेकिन वो ये सिर्फ अपने  living यानी अपने survive के लिये करते थे । आगे कुछ पता नही था कि मै क्या करूँगा ,बस इतना ही था कि इस महीने का खर्च कहाँ से निकलेगा । जिस वजह से वो काम कर रहे थे ।

एक सपना उनके मन मे ज़रूर था कि वो बच्चो के लिये marshall arts training school खोलना चाहते थे । इसी ईच्छा को लेकर वो अपने घर मुम्बई वापिस आ ही गये ।
यहाँ आकर उन्होने बच्चो को marshall arts सीखाने शुरू कर दिये और महीने का पाँच से छ: हजार रुपये तक कमाने लग गये ,इतनी छोटी amount के चलते training school खोलना काफी मुश्किल था इसलिये यहाँ भी कुछ खास नही हुआ ।
जब राजीव को कोई और रास्ता दिखाई नही दे रहा था , तब उन्होने ये फैसला किया कि अब वो आर्मी join कर लेगे ।
क्योंकि उनका परिवार आर्मी background से था ,इसलिये उनका शुरू से ही वर्दी से लगाव रहा था ,तो अब उनका मन बन चुका था कि वो आर्मी ही join करेगे लेकिन तभी उनकी life मे बहूत बड़ा twist आया । जहाँ से शुरुआत हुई journey of bollywood की ।


  Journey of Bollywood.


एक दिन किसी Student को कराटे की training दे रहे थे ,तभी उनके student के father वहाँ पहुँचे और राजीव को देख कर उनसे कहाँ कि यार तुम दिखने मे अच्छे हो ,लम्बे -चौड़े हो ,तुम मॉडलिंग क्यों नही करते ?
राजीव का family background इससे नही था ,वो तो ये भी नही जानते थे कि मॉडलिंग होती क्या है ? तो उन्होने उस आदमी को सच -सच बता दिया कि मै नही जानता modling के बारे मे !!
आदमी ने जवाब दिया कि मै Model coordinator हूँ ,मै तुम्हे समझा दूगा और उसने राजीव को office का address दे दिया ।
राजीव अगली सुबह उसके office पहुँचे , AC के नीचे एक female model के साथ  काम किया । जिस- जिस तरह के poss की demand आयी ,वैसे- वैसे राजीव करते गये और 2 से 3 घंटे उन्होने काम किया ।
बाद मे खाना खाया और ठीक 21000 रुपये का चेक राजीव को मिला तो वो इसे देख कर हैरान रह गये ,उनको ये समझ मे नही आ रहा था कि आखिर मैने ऐसा क्या किया जिसके मुझे इतने पैसे मिले ? 
तब उन्होने फैसला कर लिया कि मुझे तो यही काम करना है ,model बनना है ।
जब वो BOLLYWOOD के सफर के लिये निकले तब सफर मे उनके लाइफ की ऐसी स्टेज भी आयी कि जब उनके पास portfolio (images का collection ) के लिये पैसे तक नही थे ,तब उन्होने बतौर assistant के रुप मे एक studio के office मे काम किया और फ्री मे portfolio बनवाया ।
वह अलग -अलग offices मे जाकर अपना portfolio दिखाते थे और काम माँगते थे ।
उन्होने modeling के साथ -साथ ramp walk भी किया और काम ढूँढते -ढूँढते एक ऐसा दिन भी आया जब उनकी मुलाकात Mr.parmod जी से हुई ,उन्होने राजीव को अपनी फिल्म के लिये sign कर लिया और 5000 रुपये का चेक राजीव को दिया ।
उसके बाद राजीव ने कभी पीछे मुड़ कर नही देखा । दूसरी तरफ़ राजीव ने अपना नाम राजीव हरिओम भाटिया से अक्षय कुमार रख लिया और एक ईतेफांक की बात है कि जिस दिन उन्होने अपना नाम बदला उसके अगले दिन ही उन्हे अपनी पहली फिल्म मिली थी ।
अक्षय कुमार के  फिल्मी करियर मे कई ups and downs आते रहे । एक वार तो उन्होने लगातार 15 से 16 flops दिये थे ,मतलब उनकी कोई movie hit नही हो रही थी ।
पर उन्होने तब भी हार नही मानी और आज वो एक नामी हस्ती है । 
वो अब भी मानते है कि किस्मत का उनकी life मे गहरा रोल रहा है ,अगर वो सही वक़्त पर सही जगह नही होते तो आज वो फिल्मों मे नही होते ।
Also watch :