The Intelligent Investor, a complete process of Investors and his Investing.


हम सभी कभी ना कभी शेयर बाजार के बारे मे आये दिन कोई ना कोई खबर सुनते ही रहते है । जहाँ पर कभी- कभी कोई अपने पैसों को डुबो देता है तो   कभी - कभी कोई यहाँ से ही अपनी लाइफ बदल लेता है ।


तो आखिर ऐसा होता क्यों है ?

इसी बात को जब मै कई हफ्तों तक सोचता रहा और Research करता रहा तो last मे मुझे सिर्फ एक ही जवाब मिला और वो है Investor की intelligent का,उनकी नालेज और research का । जिस वजह से एक investor कुछ ऊंचाईयां हासिल कर जाता है और दूसरा हार जाता है ।

आज इसी से related कुछ basis बाते होने वाली है तो इसे ध्यान से समझने की कोशिश कीजिये ।
 शेयर मार्केट को समझने के बाद दूसरी जो बात आती है वो है investing की । ये होती क्या है ?


Intelligent investor by DreamLifestruggle


Definition of Investing -  investing मे तीन चीजो का होना  बहुत ज़रूरी है । अगर ये तीन चीजे investing मे नही है तो आप investing नही सिर्फ और सिर्फ gambling कर रहे है ।  ये तीन चीजे है ।

1. Thorough analysis - जिस भी चीज़ मे आप invest कर रहे है उसके पीछे कोई कारण ,और एक गहरा analysis होना चाहिये । अगर वो analysis करे बिना कोई investing कर रहे है तो वो investing नही है ।

2.Safety of principal - इसका मतलब ये है कि जो पैसा आप लगा रहे है वो पैसा सुरक्षित रहे । यहाँ सेफ्टी की बात long term period मे की जा रही है वरना price तो रोज़ ऊपर नीचे होते रहते है । लेकिन दूसरी तरफ़ अगर 6 महीने या 1 साल की बात है तो भी लॉस नही होना चाहिये ।

3.Adequate return- आप को अपनी investment से रिटर्न मिलनी चाहिये ।
ये तीन चीजे अगर है तो उसको हम investing बोल सकते है और अगर ये तीनो चीजे नही है तो उसको बोला जाता है gambling . यानी आप सिर्फ तुक्का मार रहे है कि शेयर मैने खरीद लिये शायद इसके Price बढ़ जाये और मुझे profit हो ।

नोट - हमारे द्वारा दी गयी जानकारी सिर्फ और सिर्फ education purpose के लिये है । अगर आप share market मे निवेश करने जा रहे है या करना चाहते है तो किसी investor या broker की सलाह ज़रूर ले ।


Types of Investors -

1.Defensive investor -

ये वो investor होता है जिसको लॉस से डर लगता है ,जो research को टाइम नही देना चाहता और जो  ज्यादा risk नही लेना चाहता ।


2.Enterprising Investor -

 ये वो investor होता है जो risk लेना चाहता है और जो  research के लिये टाइम दे सकता है, इसे खुद पर भरोसा होता है ।
ग्राहम के longer पीरियड की बात करे तो enterprising investor ज्यादा return बनाता है, इसको defensive investor के मुकाबले ज्यादा और अच्छा return मिलता है ।

इन दोनो के बीच मे एक और तीसरे टाइप का का investor भी हो सकता है ।जिसे हम Hybrid Investor कह सकते है ।


3.Hybrid Investor -

ये वो लोगो है जो Defensive और enterprising दोनो ही हो सकते है । ये इस तरह के लोग है जो टाइम खर्च करना नही चाहते और ये किसी की advise लेने के लिये पैसा भी खर्च करना नही चाहते ।
तो ऐसे लोगो इधर-उधर से सुनी हुई बातो से ही decision लेते है । जैसे कभी T.V या Facebook पर कुछ सुन लिया तो ऐसा करके वो invest करते है । तो ऐसे लोगो को हमेशा below average return ही मिलता है । या फ़िर ज्यादातार समय वो लॉस मे ही रहते है ।
तो यहाँ बताया जाता है कि आप Hybrid investor कभी मत बनिये या तो आप Defensive Investor की स्ट्रेटेजी फौलो कीजिये या enterprising वाले रुल फौलो कीजिये ।


5 Strategy of Investor to gaining returns.

एक Gaining investment के लिये कुछ strategy तैयार की गई है जिन पर एक investor को ज़रूर ध्यान देना चाहिये ।


1. First strategy -

 पहली स्ट्रेटजी जो है वो defensive investor के लिये है । इसमे minimum efforts की ज़रूरत होती है । इसमे आपको ज्यादा research की ज़रूरत नही होती ना ही ज्यादा टाइम देना है ।
इसमे आप सिर्फ Index fund मे इन्वेस्ट कर दीजिये । इंडेक्स फंड का मतलब आप mutual fund या Bank मे इन्वेस्ट कर सकते  है । जहाँ आपको return average के करीब मिलेंगे या जैसा index चल रहा होगा वैसे return आप प्राप्त करोगे ।
तो ये एक बिना महनत के इन्वेस्ट करने वाली बात है जिसमे आपको सिर्फ चुप छाप इन्वेस्ट कर देना है ।


2.second Strategy -

ये स्ट्रेटजी भी Defensive investor के लिये  है । इसमे आपको थोड़ा टाइम खर्च करने की ज़रूरत होती है और थोड़े efforts भी लगाने होते है ,तो इसमे बताते है कि ये आपको इंडेक्स फंड से थोड़ा अच्छा रिटर्न दे सकती  है ।
-कि ऐसी कंपनी मे invest कीजिये जिसकी market revenues कम से कम 500 $ million के हो ।

-कंपनी के current assets उसकी current liabilities से दुगने होने चाहिये ।

-कंपनी की long term borrowing अपने net current assets से कम होनी चाहिये ।

-कंपनी पिछले 10 साल से लगातर profitable हो रही हो और 10 साल से लगातार dividend pay कर रही हो ।

-कंपनी 10 साल के period के base पर अपना minimum EPS One Third बड़ा लेती हो ।

-ऐसी कंपनी मे आप अपनी earnings का 15 टाइम ही invest करे और अगर कंपनी अपनी book value के 1.5times नीचे चल रही हो तो ही आप इन्वेस्ट करे ।

-इसमे आपको minimum 10 और maximum 30 stock ही रखने चाहिये ।


3. Third Strategy-

ये स्ट्रेटजी Enterprising investor के लिये है । यहाँ पर risk थोड़ा सा ज्यादा हो जाता है और यहाँ रिसर्च वर्क भी ज्यादा हो जाता है ।
तो यहाँ बताते है कि

-ऐसी कंपनी मे invest कीजिये जिसके current assets 1.5 times ज्यादा हो current liabilities से ।

-कंपनी के Debts (कर्ज) 1.1 times ज्यादा नही होनी चाहिये current assets के मुकाबले ।

-कंपनी ने पिछले 5 साल मे कोई लॉस ना कमाया हो ।

-वो 5 साल से लगातार dividend pay कर रही हो ।

-आप 1.2 times of fixed assets के भाव पर स्टॉक खरीद सकते है ।
(यानी कि जितनी उसकी fixed assets है उसको आप 1.2 से multiply कर दीजिये तो उसका आपको market cap मिल जायेगा और उस हिसाब से आप खरीद सकते है )

-इसमे आप minimum 20 stock खरीद सकते है ।


4. Fourth strategy -

 ये भी enterprising investor के लिये है और इसमे ज्यादा risk involve है । इसको आप High risk High reward वाली स्ट्रेटजी भी समझ सकते है । तो यहाँ बताते है कि

-ऐसी कंपनियों के शेयर लीजिये जो कि अपनी Net current asset value के नीचे चल रहे  हो ।

-कंपनी के पिछले 2 साल लॉस मे ना गये हो ।

-क्योंकि ये एक रिस्क की स्ट्रेटजी है तो इसमे  number of stocks 30 ही खरीदने चाहिये ।


5. Fifth strategy -

 ये एक situational investing वाली स्ट्रेटजी है । यहाँ आपको कोई regular research की ज़रूरत नही है । आपको सिर्फ कुछ situations पर नज़र रखनी है । इसमे कुछ ऐसी situations हो सकती है जैसे कि -

-कोई छोटी कंपनी को कोई बड़ी कंपनी खरीद रही है । तो ये डील प्रीमियम प्राइस पे होती है तो छोटी कंपनी के शेयर के price बढ़ते है तो आप ऐसी कंपनी के शेयर खरीद सकते है ।

-कोई कंपनी अगर legal trouble मे फँसी हो पर उसकी problem solve हो सकती हो तो भी आप ऐसे मे कंपनी के शेयर ले सकते हो ।

-या फ़िर कंपनी अगर snip off कर रही हो तो भी आप invest कर सकते हो ।

-इसमे आप number of stocks 2 से 4 ही होने चाहिये ।

सबसे बड़ी बात जो कि इस स्ट्रेटजी मे है वो ये कि इस स्ट्रेटजी को आपको अकेले follow नही करना । इसका सीधा सा मतलब ये है कि इस स्ट्रेटजी के शेयर आपको अकेले नही खरीदने । आपको इस के साथ - साथ किसी ओर स्ट्रेटजी को भी use करना है ओर combined strategy वाले शेयर खरीदने है ।
जब भी आपको situational strategy की मदद से शेयर खरीदने का मन हो तो उसके साथ दूसरी बताई गयी चार स्ट्रेटजी मे से किसी एक का use भी करे और फ़िर ही शेयर खरीदे और उन strategy मे से 2 या 4 stocks खरीद सकते है ।


कुछ बाते जो एक Investor को ध्यान मे रखनी चाहिये ।

1. एक ही basket मे सारे अण्डे मत रखो , अगर बास्केट गिरी तो अण्डे टूट जायेगे -


 एक intelligent investor खुद को नुकसान से बचाने के लिये एक ही कंपनी मे सारा पैसा नही लगाता वो अपना investment अलग -अलग कंपनियों मे करता है ।  ताकि अगर एक कंपनी के शेयर के भाव कम भी हो तो दूसरी कंपनी आगे मदद कर सके । वारेन buffett 2 rules बताते है ।

 Rule No 1. कभी भी पैसा मत गवाये

 Rule No 2. कभी भी rule no 1 मत भूले ।
तो इन रूल्स को आपको follow ज़रूर करना  चाहिये ।


2.शेयर मार्केट एक इंसान है -

 शेयर मार्केट एक इंसान है जिसका नाम है mr. Market. वो daily आपके घर आता है और आपको  अलग -अलग कंपनियों के शेयरों के prices बताता है ,मोस्ट आफ time ये सही हो सकता है ,पर कभी कभी ये बहुत ज्यादा emotional हो जाता है और इसी problem के कारण कभी वो आपको बहुत सस्ते price offer करता है तो वो कभी बहुत ही महँगे price offer करता है ।
 यही आपको decision लेना है । अगर आपने सही decision लिया तो आपको बहुत बढ़िया results मिलेंगे और अगर गलत decision लिया तो खराब result  भी मिल सकते है ।

 क्योंकि Mr.Market बिल्कुल भी भरोसे के लायक नही है और ये बहुत समझदार भी नही है । उसका मुड़ हमेशा बदलता रहता है । कभी ये बहुत खुश हो जाता है और कभी ये बहुत दुखी हो जाता है । तो आपको इसे completely ignore करना चाहिये ।
आप Focus करिये उस कंपनी पर जिसमे आप invest करने की सोच रहे हो । एक इंटेलिजेंट investor किसी भी कंपनी मे इन्वेस्ट करने से पहले उस कंपनियों की फ्यूचर growth देखता है ,मतलब वो सिर्फ और सिर्फ value investing करता  है ।


3. एक intelligent investor कभी भी ऊपर जा रहे profit को नही देखता -

 जी हा ये बात बिल्कुल सही है कि एक intelligent investor कभी भी ऊपर जा रहे profit को नही देखता बल्कि उसका focus होता है safe and balance return पर ।
 हम लोग ज्यादातर उस कंपनियों की तरफ़ भागने लगते है जो कि नेचुरली 10 या 15 दिन से ऊपर बढ़ रही होती है  लेकिन ऐसा होता नही है कि वो कंपनियों लगतार ही ऊपर की तरफ़ जाये और इसी चक्कर मे लोगो को बहुत नुकसान उठाना पड़ता है ।
तो यही बताते है कि जब mr.market pessimistic हो तब खरीदिये और जब ये optimistic हो तब आप सिर्फ और सिर्फ बेचीये ।
इसलिये एक अच्छा investor बड़े profit के चक्कर मे ना भागते हुए balancing return देने वाली कंपनी के पीछे भागता है ।


Emotional Stress OF Investors.

Investors ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर मे अपना ढेर सारा पैसा स्टॉक मार्केट मे इन्वेस्ट करते है ,कई बार उन्हे नुकसान भी झेलने पड़ते है जिस कारण वो अपना पैसा गवा बेठते है तो यहाँ बताते है कि इस तरह के emotional stress से बचने के लिये investment के एक strict formule पर चिपके रहो - इन्वेस्टर्स कहते है कि आपको अपने income का 10% इन्वेस्ट करना चाहिये । अगर शेयर सस्ते है तो लालच मे आकर ज्यादा मत खरीदिये और अगर शेयर महँगे है तो कंजूसी मे आकर बिल्कुल ही कम मत खरीदिये ।
बस आप अपने income की 10% वाले फार्मूले पर चिपके रहे । ये बहुत ही अच्छा तरीका है एक बड़े नुकसान से बचने का और दूसरी तरफ़ Stocks मे पैसे एक साथ invest नही करना चाहिये ,आपको हर महीने एक small अमाउंट ही इन्वेस्ट करनी चाहिये जो कि आपकी income का 10% होगी ।


Margin of safety -

जो सबसे ज्यादा खास चीज़ है जिस ने investors कि जिंदगी बदली वो है Margin of safety. और investment को एक professional रुप भी इसी concept ने दिया है ।
आपके लॉस के कई reason हो सकते है क्योंकि market कभी भी same नही रहती । ये भी हो सकता है कि आपके analysis बिल्कुल ठीक हो पर economy सही ना चल रही हो तो ये भी आपके लॉस का कारण बन सकता है । इसलिये ये बहुत ही ज़रूरी है कि आप पहले से ही safety ले कर चले ।
मान लो अगर आपको एक पुल बनाने का काम दिया जाये जिसकी capacity 10000 pound की हो ,तो आप क्या उतनी ही capacity का पुल बनाओगे ? आप ऐसा बिल्कुल भी नही कर सकते क्योंकि 10000 से अगर ज्यादा वजन पड़ा तो आपका पुल टूट भी सकता है ।
तो आप ज्यादा वजन वाला पुल बनाओगे ताकि safety बनी रहे ।
यही बात investment पर भी लागू होती है । आप किसी भी कंपनी का शेयर उसके price से नीचे  खरीदे ।
यानी कि अगर शेयर का price 100 रुपये बनता है तो इसे तब तक ना खरीदे ,जब तक कि ये 60 या 70 तक नही आता ।
जब आप उसको नीचे के भाव मे उसे खरीद रहे है तो आप कि जो analysis मे गलती हो सकती है वो यहाँ Discount हो जयेगी या कंपनी का business अगर थोड़ा बहुत खराब हुआ तो वो आपको safety दे   देगा ।
तो हमेशा ही margin of safety का ध्यान ज़रूर रखे ,क्योंकि कोई भी शेयर अगर खरीद रहे है तो बिना इसके आपको नुकसान भी हो सकता है ।


और सबसे important बात जो कि बताई गयी है वो ये कि जब भी आप शेयर खरीदे तब आपकी thinking एक business owner जैसी होनी   चाहिये । तो अगर आप investing को बिज़्नेस पार्ट्नर की तरह लेगे तो ही आपको अच्छे results मिलेंगे वरना आप घाटा भी मोल ले सकते हो । तो investing को एक business ले तौर पे लीजिये ,तभी इसमे आप आगे बढ़ पायेंगे ।