Fight with your inner world.

जब भी हम अकेले होते है तो हमे इस अकेलेपन से डर लगता है और अपने अकेलापन जिसे हम loneliness बोलते है उसको दुर करने के लिये हम लोगो के साथ मे जुड़ते है और जुड़ते भी ऐसे लोगो से है जिनका हमारी life से कोई direct कनेक्शन नही होता ।
अभी आप उस situation को याद करने की कोशिश करोगे तो आप को समझ आयेगा कि उस वक़्त हमारे mind की condition कैसी होती है ।
मै इस article को तीन हिस्सों मे divide करूँगा जिससे लगभग सबकुछ clear हो जायेगा ।


1. सबसे पहला loneliness हमारे अन्दर क्यों ,कब
और कैसे पैदा होता है ।

2.loneliness पैदा होने के बाद हम क्या करते है ।

3. और हमे actual मे क्या करना चाहिये ।
इससे शायद आपके सारे questions clear हो  जाये ।
loneliness by Dreamlifestruggle


1st. ये हमारे अन्दर क्यों पैदा होता है ।

loneliness हमारे अन्दर तीन चीजो के कारण पैदा होती है ।

1. Thoughts के द्वारा ।
2. person या situation के जाने के बाद ।
3. सक्सेस फेल्यर के डर की वजह से ।

Loneliness या अकेलापन हमारे अन्दर तब  बढ़ता है जब we are separated from someone , जब हम किसी से अलग हो जाते है । वो कोई भी person हो सकता है जब भी कोई ऐसा person हमारी लाइफ मे एंटर करता है जिससे हमारी बहुत ज्यादा attachment हो जाती है ,उसके जाने से हमारे अन्दर sense of loneliness पैदा होती है । 
आप यहाँ पर किसी situation को भी देख सकते हो ,जब भी हम किसी ऐसी जगह जिससे हम बहुत ज्यादा attached हो ,उसे छोड़ते है तब भी हमारे अन्दर एक अकेलापन वाली feeling सी पैदा होने लगती है । ये कोई भी जगह हो सकती है , आपका स्कूल ,आपका friend group या आपका पूराना घर ।
दूसरी तरफ़ जब भी आप free होते हो ,आप के पास करने के लिये कुछ नही होता ,तब भी आप loneliness feel करते हो । 
और ये feeling कभी भी आपके बाहर नही आती ,जब भी आप अकेले होते हो तो ये अकेलापन आपको सताने लगता है ।


2.loneliness पैदा होने के बाद हम क्या करते है ।

जब भी हमे अकेले होने का डर सताने लगता है तो हम या तो वहाँ से अपना ध्यान हटा कर किसी दूसरी तरफ़ अपना ध्यान लगाते है ।
या फ़िर किसी दूसरे person से जाकर जुड़ते है और इधर -उधर की बात करना शुरू कर देते है ।
हम ऐसी कोई भी अजीब सी हरकते करना शुरू कर देगे । अगर ध्यान से देखा जाये तो उस वक़्त हमारे अन्दर कुछ ऐसी feelings चल रही होती है जो हमे नीचे गिराती जाती   है ।
अकेले मे हमारे अन्दर एक साथ बहुत सारे thoughts आते रहते है और ज्यादातार वो thoughts negative होते है ।
हमे डर रहता है कि वो person लाइफ मे बहुत successful हो जायेगा और मै बस यही का यही अटका रह जाऊँगा । शायद हम दोबारा मिलेंगे या  नही !
कभी - कभी तो हम जल्दबाजी मे ऐसे decision लेते है जिस वजह से बाद मे पछताना पड़ता है । 


3. तो हमे actual मे क्या करना चाहिये ।

मै आपको ये नही बता सकता कि आपको क्या करना चाहिये लेकिन मै आपको ये ज़रूर बता सकता हूँ कि जब भी मै इस situation मे होता था तो उस समय मै क्या करता था ।
जब भी मै अन्दर से lonely feel करता था तो मै उस वक़्त उस वजह को ढूंढता जिससे मै lonely feel कर रहा होता । तो ज्यादातार अकेलापन मुझे किसी से अलग होने पर  होता । तब मै अपने आप से कुछ सवाल -जवाब करता और जिस वजह से मुझे सभी बाते clear होती चली जाती ।
मुझे जो जवाब मिलते ,उसमे मुझे कुछ इस तरह की बाते निकल कर आती ।


क्योकि मे पहले ही बता चुका हूँ कि loneliness हमारे अन्दर तीन चीजो के कारण पैदा होती है ।

1. Thoughts के द्वारा ।

2. person या situation के जाने के बाद ।

3. सक्सेस फेल्यर के डर की वजह से ।


अगर वो person से related होता ?

- ज़रूरी नही कि सिर्फ आप ही lonely feel कर रहे हो जो person आप से अलग हुआ है शायद वो भी आप की तरह ही महसूस कर रहा हो । 


-अगर अकेलापन किसी जगह से बिछड़ने के कारण पैदा होता ?

अगर ऐसा होता तो मै दोबारा वहाँ जा सकता हूँ या नही ,अगर जवाब हाँ होता तो मै अपने  ज़रूरी कामों पर फोकस करता हूँ जिसकी वजह से मै काम ख़त्म कर के दोबारा जा सकु ।


-अगर loneliness सक्सेस फेल्यर के डर की वजह से होता ?

इस से related loneliness को ख़त्म करने करने के लिये मे उन कामों को करता जिनको करने से मेरे अन्दर satisfaction होती । 
For example अगर मे एक student हूँ तो मेरा डर exam मे failure से related होता । तो मै अगले दिन पढ़ने बैठ जाता और अपना सारा focus उठा कर पढ़ाई मे लगा देता ,ताकि मेरे अन्दर से ये डर ख़त्म हो जाये ।

अगर इन तीनो को ख़त्म करना है तो जो मैने किया ,जैसे मैने questioning करी । उसको अगर simple way मे sum up करना हो तो वो है कि मै लोगो के साथ मे जुड़ता था ,क्योंकि अगर हम loneliness को अलग -अलग तरीके से ख़त्म करने की कोशिश कर रहे होते है तो पूरी तरह से उस पर काबू नही पा सकते ।
हम टेम्परेरी तौर पर thoughts से छुटकारा पा सकते है ।
हम success failure के डर को भी टेम्परेरी तौर पर ख़त्म कर सकते है उन कामों को कर के ।
हम किसी person को भी कुछ समय के लिये भुला सकते है ,लेकिन सिर्फ कुछ समय के लिये ।
और जब दोबारा से sense of loneliness पैदा होगी और इसका असर पहले वाले से ज्यादा होगा तब आप चाह कर भी इसको ख़त्म नही कर पाओगे । उस समय हम अपने thoughts से भी ध्यान हटाने की कोशिश करेगे,या हम किसी सक्सेस failure से भी ध्यान हटाने की कोशिश करेगे और हो सकता है कि कुछ  देर के लिये हटा भी ले ।
लेकिन अगर कोई पर्सन हुआ तो उससे ध्यान नही हटा पायेंगे । जितना हम ध्यान हटाने की कोशिश करेगे उतना ही हम उसकी तरफ़ ओर ज्यादा attract होते चले जायेगे । ऐसे मे क्या होता है कि हम दो तरह से react करते है |

1. पहला या तो हम उसे याद कर कर के रोना शुरू कर देते है ।

2. या फ़िर हम उससे किसी तरह Contact करने की कोशिश करते है ।
और ऐसा ही कुछ मै किया करता था ।

कई बार क्या होता कि मै तो उनसे जुड़ता लेकिन वो मुझे भगा देते । तो कई बार मे जबरदस्ती जुड़ने की कोशिश करता ,मतलब उनके personal relation या life मे दखल देता और फ़िर बाद मे conflict होता ,उनसे लड़ाई झगडे़ होते । 

लेकिन जब धीरे-धीरे इसको मे समझता गया तब मैने जो बात को समझा, उसने मेरी लाइफ मे गहरा असर डाला और जो बात सामने निकल कर आयी वो ये कि आपको कुछ नही करना ।
ये बात बिल्कुल सच है और इसी मे से आप के loneliness का डर ख़त्म होगा कि आपको कुछ नही करना । 
ये बात याद रखीये कि कोई भी चीज़ permanent नही होती सब चीजे एक टेम्परेरी है । loneliness को दुर करने का जो सीधा फ़ंडा है वो है happiness. 
इसलिये Situations और बाहरी चीजो को lightly लेंना शुरू कीजिये ,हम बहुत ज्यादा strongly चीजो को पकड़ कर बैठ जाते है । जिस वजह से loneliness बढ़ती चली जाती है ।
अगर बुरे thoughts आते है तो आने दो , कोई person छोड़ता है, तो उसे जाने दो । क्या फर्क पड़ता है । 
 आप के अन्दर ही happiness का source है ,उसे देखने के लिये सिर्फ एक नज़र चाहिये और जब आप को ये समझ आयेगा तब आप के अन्दर loneliness से related जो भी डर है वो ख़त्म होता चला  जायेगा ।
आप को खुश रहने के लिये किसी की ज़रूरत नही ,आप अकेले भी अन्दर से उतने खुश रह सकते हो । 
ये एक बहुत ही गहरी बात है और हम सब को जाने -अनजाने मे ये बात पता होती है,लेकिन हम इस पर कभी ध्यान नही देते ।
अगर हम बाहर किसी के साथ मे जुड़ते है और वहाँ से खुशी तलाशेंगे तो वो हमे नही मिलेगी क्योंकि बाहर आप जिस भी पर्सन से जुडोगे उसमे कुछ अच्छी बाते भी होगी और कुछ बुरी बाते भी होगी । 
लेकिन अपने inner world की बात करे तो ये ही एक ऐसा पर्सन है जिस पर आप पूरा control कर सकते है और जो चाहे देख सकते है ।
ज़रा ध्यान से सोचना कि अगर आप अकेले भी हो और अन्दर से thoughts आ रहे हो कमाल के ,आप को वो बाते सोच -सोच कर ही हँसी आने लगे जिस से आप का non stop entertaining हो रहाँ हो तो आपको खुद के साथ मजा आयेगा या नही ।
और एक बार आप ने खुद के साथ मे खुश रहना सीख लिया तो फ़िर आप किसी के साथ भी खुश रह सकते हो ।
आपको किसी के साथ भी खुश रहने की ज़रूरत नही है ,आप अकेले ही खुश रह सकते हो ।
 कोई आ रहा है या जा रहा है क्या फर्क पड़ता है और इससे आपकी loneliness पूरी तरह ख़त्म हो जायेगी । इस से related सारा डर पूरी तरह से ख़त्म हो जायेगा ।
अब happiness भी सब के लिये अलग -अलग तरीके से काम करती है ।
और जब आज के टाइम मे जब मे खुद को देखता हूँ तो बहुत हैरान होता हूँ !

'''When you feel lonely,then enjoy and spend your time to the greatest person's life and his wonderful thoughts -who is you.''
      -Author 

हम ने अपनी काफी posts मे ये देखा है कि लोग हमारे articles read तो करते है, लेकिन comment बिलकुल nhi करते, अगर आप भी उन लोगो मे से एक है तो please comments जरूर करिये, आपका एक valuable comment हमें नये - नये articles लिखने की प्रेरणा देता है !