A Deep Analysis of Value Investing.


value investing की बात करे तो सबसे पहली बात तो ये है कि market predictable नही है । इस बात से फर्क नही पड़ता कि आपका education qualification क्या है या आपकी success rate कितनी है । 
क्योंकि जब market मे condition सुधरते है तो लोग स्टॉक खरीदने के पीछे भागते है और जब कंडीशन बिगड़ते है तो हम स्टॉक बेचने के पीछे भागते है ,तो जो लोग ऐसा करते है वो पैसा नही बनाते । अगर हमे पैसा बनाना है तो हमे इनसे कुछ अलग करना होगा । 
Value investing by Dreamlifestruggle

हमारी basic investing साइकोलोजी जो है वो हमे कुछ इस तरह बताती है ।
अगर आप ज्यादा रिस्क लेते है तो आपका reward ज्यादा होता है और अगर आप कम risk लेते है तो आपका कम reward होता है ।

नोट - हमारे द्वारा दी गयी जानकारी सिर्फ और सिर्फ education purpose के लिये है और अगर आप शेयर मार्केट की basic knowledge नही रखते तो ये article आपकी समझ मे नही आयेगा । इस लिये मेरा personal suggestion है कि इसे पढ़ने से पहले शेयर मार्केट से रिलेटेड हमारे कुछ basic articles ज़रूर पड़े और अगर आप share market मे निवेश करने जा रहे है या करना चाहते है तो किसी investor या broker की सलाह ज़रूर  ले ।

अगर आप किसी भी स्टॉक पर इन्वेस्ट करते है तो आपका maximum loss 100% ही होगा क्योंकि कोई भी स्टॉक 0 से नीचे  जा नही सकता ,लेकिन profits की कोई limit नही है । आप कितना भी profit gain कर सकते हो । तो इसका मतलब ये है कि आप low risk high reward investment कर सकते हो । तो यहाँ पर ये हमारा idea low risk low reward गलत साबित होता है और यही वो बात थी जिसकी वजह से Benjamin graham value investing की नींव रख सके ,जिन्हे Father of value Investing के नाम से जाना जाता है ।
लेकिन दूसरी तरफ़ high risk high reward वाली बात बिल्कुल सही साबित होती है । एक बहुत ही समझने वाली बात है थोड़ी गहराई मे है लेकिन अगर आप एक बार इसको समझ गये तो बहुत निवेश मे काफी कुछ समझ कर आगे बढ़ सकते हो ।


Basically कोई भी बिज़्नेस तीन ही स्टेज अटेंप्ट कर सकता है ।

1. पहला या तो वो fail हो सकता है ।

2. दूसरा या तो वो धक्के मार के टीका रह सकता है ।

3. तीसरा या वो बहुत आगे बढ़ सकता  है ।

तो Benjamin graham के दिमाग मे ये बात्त आयी कि वो किसी तरह से एक ऐसा method बना ले जिसकी मदद से वो वही business उठा सके जिसके बँद होने के chances बहुत कम हो तो हमारा risk भी काफी कम हो जायेगा ।
दूसरी बात जो उनको समझ मे आयी वो ये कि जो investors है वो ज्यादातार market के current state को देखते हुए current market price पे invest करते है । ऐसा करने से उनका जो reward potential है वो कम हो जाता है । 
लेकिन उनका ऐसा मानना था कि अगर हम मार्केट की current state को देखते हुए अगर business की future state मे इन्वेस्ट करे तो इससे हमारा reward काफी बढ़ जायेगा ।
लेकिन इस तरह इन्वेस्ट करने से business की intrinsic value calculate करना ज़रूरी हो   गया ।
 ( अगर आप के पास intrinsic value calculate करने का कोई education qualification नही है तो आप इसे समझ नही सकते । क्योंकि इसका कोई एक method नही है , ये वेल्यू अलग -अलग business के हिसाब से अलग - अलग calculate होती है तो अगर आपके पास कोई qualification नही है तो इसे calculate करने की कोशिश करके आप सिर्फ अपना time बर्बाद कर रहे हो । )

अगर आप एक average investor है तो आपको इसे calculate करने की कोई ज़रूरत नही है,इससे आपके investing के ऊपर मे कोई फर्क नही   पड़ेगा । 
Benjamin graham का जो Method है वो intrinsic value calculate करने के base पर है लेकिन इसके इलावा उन्होने इसके बारे मे कुछ खास नही बताया ,क्योंकि इसकी कोई  खास ज़रूरत नही है ।
क्योंकि ज्यादातर Investors स्टॉक तभी buy करते है जब मार्केट के conditions सुधरते जाते है ,और उन्हे लगता है कि market अब growth way मे ऊपर की तरफ़ ही जा रही  है । जब conditions बिगड़  है तो वो sell करने लग जाते है कि कही उन्हे ज्यादा नुकसान ना उठाना पड़े और ज्यादा नुकसान ना हो कर पहले ही स्टॉक बेच दिया जाये ।
लेकिन अगर long term investment की बात करे तो benjamin graham की ideology इससे बिल्कुल उलट साबित होती है । वॉरेन buffet ने CocaCola के शेयर तब खरीदे थे जब उनका market crash हुआ था । तो यहाँ पर साफ दिखाई देता है कि benjamin graham की ideology का use ही किया गया  था ।


Method of analysis.

उनका ये मानना था कि कोई भी बिज़्नेस तब Successful है, जब वो business चलने के लिये जितने पैसे लगते है उससे ज्यादा पैसे बना रहा हो ।
ऐसा business loans के ऊपर नही चल सकता । इसलिये वो बताते है कि business के ऊपर loan कम होना चाहिये या ना ही हो तो अच्छा है ।
इसलिये वो सबसे पहले business का debt to equity ratio देखते थे ।

1. Total equity = Total assets - Total
liabilities 
2. Debt To equity = Total debt / total liabilities 

उसके बाद वो Business के Net sales देखते थे । अगर कोई भी business चलने के लिये जितने पैसे लगते है उससे ज्यादा पैसे बना रहा है तो इसका मतलब उसके net sales हर साल बढ़ते है । इसके साथ वो उसका Positive EPS देखते थे । 
(यहाँ पर एक बात ध्यान देने वाली है कि वो सिर्फ Positive EPS देखते थे ना कि EPS मे Increasing.)
अगर एक business consistently अपना net sale बड़ा रहा है तो उसका cash flow भी बढ़ना चाहिये ।


किसी भी business के दो valuation होते  है ।

1.Actual valuation 

2. Market valuation जो कि market उसको देता है ।

Actual valuation को हम balance sheet ,Profit and loss A/C या cash flow की मदद से देख सकते है ।

जबकि उसका जो market valuation है वो उसको उसके investors देते है जो कि उसके stock prices के ऊपर नीचे होने से देख सकते है तो ये business valuation से कम भी हो सकता है या उससे ज्यादा भी हो सकता है ।
Benjamin graham का मानना था कि हमे किसी भी स्टॉक को तभी buy करना चाहिये जब उसका Actual valuation और Market valuation दोनो similar हो ।

किसी भी स्टॉक को business valuation पर खरीदने के लिये एक benchmark चाहिये था जो उन्होने book value को consider किया ।


1. PBR ( price to book ratio)- किसी भी स्टॉक को buy करने से पहले वो उसका price to book ratio देखते थे । उनकी condition ये थी कि ये 1 या 1 से नीचे होना चाहिये । यही वो चीज़ थी जो Benjamin graham के लिये margin of safety का काम करती थी ।


उनका ये मानना था कि कोई भी स्टॉक उस समय best buy price पर है जिस समय उसका price to book ratio 0.66 का है ।


2. PE ( price to earning ratio )- Benjamin graham ये मानते थे कि p.e उनको years देगा जिसमे उनको उनका invest किया हुआ पैसा  वापिस मिलेगा ।


क्योंकि Benjamin graham एक long term investor थे तो उनका minimum holding time 15 का था तो वो इस बात को मानते थे कि P.E 15 से नीचे होना चाहिये । अगर ऐसा नही होता है तो price to book ratio वाली condition useless है ।

 Benjamin graham के method से आप quick return expect नही कर सकते ,आपको रिज़ल्ट्स सिर्फ लोंग टर्म रिटर्न्स मे ही दिखेंगे । फ़िर भी अगर quick results मिलते है तो इसे अपना sirf good luck समझिये ।
लेकिन जब भी return आयेंगे वो काफी ज्यादा आयेंगे और divided भी काफी होगे ।


grahm का investing method काम क्यों करता है ।

इसके लिये आपको ये जानना होगा कि स्टॉक कब भागना शुरू करता है । कोई भी stock तब भागना शुरू करता है जब वो अपने regular earnings से ज्यादा कमाने लगता है ।
अगर हम business के Economic cycle Diagram को देखे तो समझ मे आता है कि कोई भी business growth stage से लेकर बूम स्टेज तक भागता है । 
Bussiness Economic cycle by Dreamlifestruggle

किसी भी business को ऊपर जाने के लिये अपने ग्रोथ स्टेज मे दाखिल होना होता है । 
market मे raw materials के भाव कम ज्यादा होना ,basic demands और supply और कॉम्पिटिशन वगेरह business के earnings के potential पर असर डालती है । ऐसा कोई भी economy function जिस से business का earnings के potential मे बढ़ोत्तरी होती है उसे economic trigger बोलते है ।
किसी भी business को अपने growth stage मे जाने के लिये  economic trigger की ज़रूरत पड़ती है ।
अब अगर कोई business economy condition चाहे वो खराब हो या अच्छी हो ,उसमे अच्छा perform कर रहा है ऐसा ही बिज़्नेस economic trigger के आने पर सबसे ज्यादा potential रखता है अपने earning capacity को बढ़ाने का ।
ग्राहम के method से हम उन बिज़्नेस को ही buy करते है जो बिज़्नेस को चलने के लिये जितना पैसा लगता है उनसे ज्यादा ही बना रहे हो क्योंकि logicaly ये business economic trigger के आने के बाद ज्यादा पैसा कमाने का potential रखते है ।
Technical देखा जाये तो आपको ग्राहम के method से मिले stock आपको एक long term रजिस्टस के नीचे ही दिखेंगे और जैसे ही economy trigger आयेगा ये रिजिस्टस  तोड़ कर तेजी से ऊपर की ओर भागते है ।
Share market statistics by Dreamlifestruggle


लेकिन ये economic trigger के बाद ही ऊपर की ओर जाते है अगर economy trigger आने से पहले बिज़्नेस खराब perform करने लगा तो आपका waiting time खराब हो जायेगा ।