कर्म और भाग्य-True story of a women priyanka dubey

कर्म और भाग्य-True story of a women
ये कहानी है उतर प्रदेश की रहने वाली प्रियंका दुबे की,जिन्होने अपनी Destiny को बदलने की पूरी कोशिश की और वो कामयाब रही । वो अपनी कहानी कुछ इस प्रकार बताती है -



बात उस समय की है जब मै आठवीं कक्षा मे पड़ती थी । एक दिन मे स्कूल से घर जा रही थी । तब रास्ते मे मुझे कुछ लोग दिखाई दिये जो कि एक जगह इकट्ठे हुए खड़े थे । मैने थोड़ा आगे जाकर देखा तो मुझे दिखाई दिया कि कुछ लोग एक ज्योत्षि के पास इकठ्ठे हुए खड़े अपना -अपना हाथ दिखा रहे थे ।
मेरी सहेलिया भी मुझे अपना हाथ दिखाने के लिये कहने लगी और मेरे मना करने पर उन्होने जबरदस्ती मेरा हाथ उस ज्योत्षि के आगे कर दिया और वो ज्योतिषी मेरा हाथ देख कर बताने लगा ,''तुम्हारा नसीब बहुत खराब है नौकरी तो छोड़ तुम अपना ग्रेजुयेटेड भी पूरा नही कर पओगी !''
क्योंकि उस वक्त मैने स्कूल की वर्दी पहनी हुई थी तो हो सकता है उस ने ये बात इसी वजह से कही हो । मैने उनसे कहाँ कि माफ कीजिये मै इन सब बातो को बिल्कुल नही मानती तो इस पर उस ज्योत्षि ने गुस्से मे कहाँ कि ये बात मै नही कह रहा ,ये तो तुम्हारे हाथ की रेखाये बता रही है ,पर मैने इस बात पर बिल्कुल भी ध्यान नही दिया और चुप -चाप घर निकल पड़ी ।
घर पहुँचते ही मैने सारी बात अपनी माँ को बताई तो मेरी ममी मुझे कहने लगी कि मुझे उस ज्योत्षि की बात मे सचाई लग रही है । तुम्हारे बाबू जी घर का खर्च ही बहुत मुश्किल से चलाते है । तुमको तो इस बात का पता ही है ,तो हो सकता है कि तुम आगे ना पड़   पाओ ।
बचपना  होने की वजह से मैने उनकी बात को नज़र अंदाज़ कर दिया ।
कुछ सालो बाद मैने दसवी की परीक्षा अच्छे नंबरों से पूरी की । क्योंकि फेमिली बड़ी थी इसलिये मेरी पढ़ाई का विरोद्ध होने लगा, पर मेरी जिद के कारण मैने अपनी इंटरमीडिएट की पढ़ाई जारी रखी और अपने सहेलियों से नोट्स लेने लगी । इंटरमीडिएट मे मै अच्छे नम्बरों से पास तो हो गयी ,पर ये साल मेरे लिये बहुत ही बुरा रहा था,क्योंकि मुझे बहुत सारी मुश्किलो का सामना करना पड़ा ,यहाँ तक कि मेरे पढ़ने के लिये सारी books भी नही थी ।
अब मुझे भी लगने लगा था कि शायद उस ज्योत्षि की बात सच साबित हो जाये क्योंकि मेरे हालात इतने बुरे हो चुके थे ,पर अंदर से कही ना कही ये भी ख्वाइश थी कि मुझे ज्योतिषी की भविष्यवाणी को गलत साबित करना है । जिस वजह से मैने graduate पूरी करने का मन बना लिया । मैने अपने रिश्ते मे एक भाई से प्राइवेट B.A फॉर्म मंगवाएं । मेरी पढ़ाई मे लग्न देख कर मेरी नानी ने भी मेरी मदद की और मुझे कही से पैसे इकट्ठे कर के दिये । अपनी सहेलियों से मे नोट्स लेने लगी और खूब मन लगाकर पढ़ने लगी । फ़िर मैने पहले साल अच्छे नम्बरों से पास किया पर जब दूसरे साल की बारी आयी तो प्रॉब्लम्स और भी बढ़ने लग गयी थी जिस वजह से मेरी शादी की बात की जाने लगी । मैने किसी तरह से दूसरा साल भी कंप्लीट कर लिया और उसके बाद मेरी शादी कर दी गयी और मेरी आगे.की पढ़ाई वही छूट गयी ।
शादी के बाद जिंदगी काफी बदल गयी और मै अपने ससुराल के काम काज की वजह से व्यस्त हो गयी जिस कारण मेरा पढ़ाई से रिश्ता पूरी तरह से कम हो चुका था ।
 2 साल बाद मैने अपनी बेटी को जन्म दिया । अब सारा दिन बेटी को सम्भालना और घर के काम काज ही मेरी daily routine का हिस्सा  बन चुके था ।
साल बीतते गये और अब बेटी भी बड़ी हो रही थी ,पढ़ने की ईच्छा कई बार होती थी तो कभी -कभी ज्योतिषी की बात याद जाती । और एक दिन मैने हिम्मत करके अपने पति से पुछ ही लिया कि मुझे आगे पढ़ना है तो उनका जवाब था कि अगर तुम्हे लगता है कि तुम पड़ सकती हो तो ज़रूर पड़ो मै तुमको नही रोकूगा और उनकी इस बात ने मेरे अंदर दोबारा हिम्मत पैदा की और मैने पढ़ाई शुरू कर दी ।
मैने 3rd year के प्राइवेट form भरे और अच्छे नम्बरों से तीसरा साल भी कंप्लीट कर लिया । लगभग 6 साल बाद मैने अपनी ग्रेजुयेट कंप्लीट की और आगे पोस्ट ग्रेजुयेट भी पूरी कर ली । अब मे लेक्चरर की तैयारी कर रही हूँ । इस तरह मैने अपनी destiny बदली ।

प्रियंका दुबे (उतर-प्रदेश )